तीज ना कोई त्योहार,
न ही ढोल-मल्हार
होली,राखी न दीवाली,
रोज मनाते ये उत्सव..॥
कोई बंधन न कोई मन्नत,
कदम-कदम मिलाएं हरदम
हँसना और हँसाना
मीत जैसा ये उत्सव..॥
मोड़ एक यहीं चौखट,
याद आता गाँव-चौपाल
हौंसला अपना राह नई,
क्यों न फिर मनाएं उत्सव..॥
रंजो-ऐ-गम कभी नहीं,
न वक्त परे बौछार
सौगात शब्द प्यारी भरी,
स्नेह-प्रीत सा ये उत्सव..॥
जीता नहीं कोई हारा,
मुस्कान-खुशी की बात
उम्मीद उड़ान देते सभी,
परिवार दोस्ती-सा अपना
हरा-भरा ये ‘उत्सव’…॥
#उमा मेहता त्रिवेदी
परिचय : इंदौर में रहने वाली श्रीमति उमा मेहता त्रिवेदी ने एमएससी और बीएड किया हुआ है। कई पत्र-पत्रिकाओं में आपके लेख,ग़ज़ल और रचनाएँ प्रकाशित होती हैं। आपको भारत के प्रतिभाशाली &गौरवशाली साहित्यकार पुरस्कार ‘अमृत सम्मान’ से और कृति प्रकाशन से भी सम्मानित किया गया है। अब तक चार साझा संग्रह प्रकाशित हो गए हैं। आपको ८० प्रतिशत रचनाएँ,लेख एंव ग़ज़ल के साथ ही गाने और व्यंग्य भी लिखने का शौक रखती हैं। लिखना और पढ़ना इनकी उपासना ही नहीं, वरन पसंद भी है। कई वेबसाईट पर भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं।