सुनो कुछ और वक़्त ठहर जाओ न,
कुछ बाकी-सा है दिल में ठहर जाओ न…।
न जाने कितने दबे अरमान उफ़ान पे हैं,
और न जाने कितने सैलाब दबे से हैं..
खुद में समेटने के लिए ही सही,
ठहर जाओ न…।
तुम आते हो,आते ही चले जाते हो,
मैं रोक भी नहीं पाती,तुम ओझल हो जाते हो..
मेरी साँसों में उतरने के लिए
ठहर जाओ न…।
तेरे बिना ज़िन्दगी क्या होगी,
ये सोचकर सहम जाती हूं
संभलती हूं, फिर बिखर जाती हूं,
ज्यादा नहीं, कुछ हक़ देने के लिए ही ठहर जाओ न…।
देखो मेरी मुस्कान पर न जाया करो,
दिल के बिखरे हुए कमरे में भी
कभी आया करो,
जर्जर कमरे की खैरियत के लिए
ठहर जाओ न…।
तुम्हारे बिना सब फ़ना-सा हो जाएगा,
कुछ वक्त और ठहर जाओ न…॥
#हरप्रीत कौर
परिचय : मध्यप्रदेश के इंदौर में ही रहने वाली हरप्रीत कौर कॊ लेखन और समाजसेवा का बेहद शौक है।आपने स्नातकोत्तर की पढ़ाई समाजकार्य में ही की है। कई एनजीओ के साथ मैदानी काम भी किया है। आपकी उपलब्धि यही है कि,2015 में महिला दिवस पर इंदौर की 100 महिलाओं में इन्हें भी समाजकार्य हेतु सम्मानित किया गया है। आप वर्तमान में महिला हिंसा के विरुद्ध कार्यरत हैं तो,कौशल विकास कार्यकम तथा जनजागरूकता के कार्यों से भी जुड़ी हुई हैं।
Harpreet Kaur has a great creativity of semantic, rythem and selection of words in her poems. My compliments. Keep it up. God bless you.
Dr. Naresh Singh