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ये सिक्का हमारा तो चलता रहेगा।
वो मौसम वफा का तो आता रहेगा॥
तुझे ही खुदा से माँगा था सभी ने।
पता है हमें भी तू आता रहेगा॥
तिरे प्यार की खुशबू आती है उड़कर।
वफा के लिए फिर यूँ आना रहेगा॥
शक की नजर से ये दुनिया यूँ देखे।
तिरी चाहतों में भी रोना रहेगा॥
मुहब्बत हमेशा करी थी तुझी से।
दिया फिर वफा का ये जलता रहेगा॥
वफा में भी शिकवा जरूरी है लेकिन।
जहाँ में धोखा ‘राज’ खाता रहेगा॥
#कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’
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