वंदे गौ मातरम

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shreeman
कोटि-कोटि  कंठों से कह दो,वंदे गौ मातरम नारे,
गौरक्षा के हित में आओ,कान्हा बन के तुम प्यारेl  
 
सनातनी  संस्कार कहाँ  है,तोड़ने लगे अब नाता, 
बिलख रही है आहें भर के,गली-गली में गौ माताl   
 
वारिस के ही सामने गैया,बूचड़खानों में झूल रही, 
एक ओर माता कहते ही,अब क्यों सरकार भूल रहीl  
 
आर्द्रनाद  हुंकार समाकर,धर शस्त्रों को अब सारे,
कोटि-कोटि कंठों  से  कह  दो,वंदे गौ मातरम नारेl 
 
कामधेनु बन के थी,घर-घर लक्ष्मी का अवतार लिए,
जन-जन पापों को हरती थी,आँगन में भवसार लिएl 
 
हम हिन्दू की मनोभावना,जनमानस का मंत्र बना, 
गौरक्षा के हित में तब से,शासन  का  यह तंत्र बनाl 
 
काट रहे  हैं गौ मैया को,उसके  नैनों  के तारे,
कोटि-कोटि  कंठों  से कह दो,वंदे  गौ मातरम नारेl 
विकट हो रहा कलियुग भीतर,माता का सम्मान नहीं,
गौरक्षा  करता  था  भगवन,वो  वंशी मधुगान नहींl 
 
नीच  धरातल राजनीति ने,हनन किया संस्कारों को,
फिर भी धरती धरती है यह,सहनशील ममकारों कोl  
 
रुद्र  उठो  नंदी  के  हित  में,शिव  तांडव  बन संहारे,
कोटि-कोटि  कंठों  से  कह दो,वंदे  गौ मातर  नारेl 
                                                           #श्रीमन्नारायण चारी’विराट

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