कृष्ण कन्हइया

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sunil chourasiya

रास के रचइया मोरे कृष्ण कन्हइया हो,
मधुवन में ले के चल एक झुण्ड गइया होl

झूमी-झूमी खेलल जाई उहाँ ओल्हा-पाती,
खेलत-खेलत में होई जाई आधी रातीl

खोजत-खोजत अइहें यसोमती मइया हो,
मधुवन में ले के चल एक झुण्ड गइया होl

रास के रचइया मोरे कृष्ण कन्हइया हो,
मधुवन में ले के चल एक झुण्ड गइया होl

बंसी बजइह यमुना तट पर घूमी के,
गोपियन के संगे नाचल गावल जाई झूमी केl

पंख पसारि मोरवो नाची ताता थइया हो,
मधुवन में ले के चल एक झुण्ड गइया होl

रास के रचइया मोरे कृष्ण कन्हइया हो,
मधुवन में ले के चल एक झुण्ड गइया होl

पानी लेके अइहें राधा रानी मधुवन में,
मटकी फोड़ी माखन चोरी कइल जाई वन मेंl

लहरा जोड़ इहें नाहीं बलराम भइया हो,
मधुवन में ले के चल एक झुण्ड गइया होl

रास के रचइया मोरे कृष्ण कन्हइया हो,
मधुवन में ले के चल एक झुण्ड गइया होl 

                                                              #सुनील चौरसिया ‘सावन’

परिचय : सुनील चौरसिया ‘सावन’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९९३ और जन्म स्थान-ग्राम अमवा बाजार(जिला-कुशी नगर, उप्र)है। वर्तमान में आप काशीवासी हैं। कुशी नगर में हाईस्कूल तक की शिक्षा लेकर  बी.ए.,एम.ए.(हिन्दी) सहित बीएड भी किया हुआ है। इसके अलावा डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन,एनसीसी, स्काउट गाइड, एनएसएस आदि भी आपके नाम है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन,लेखन,गायन एवं मंचीय काव्यपाठ है तो सामाजिक क्षेत्र में नर सेवा नारायण सेवा की दृष्टि से यथा सामर्थ्य समाजसेवा में सक्रिय हैं। विधा-कविता,कहानी,लघुकथा,गीत, संस्मरण, डायरी और निबन्ध आदि है। अन्य उपलब्धियों में स्वर्ण-रजत पदक विजेता हैं तो राष्ट्रीय भोजपुरी सम्मेलन एवं विश्व भोजपुरी सम्मेलन के बैनर तले मॉरीशस, इंग्लैंड,दुबई,ओमान और आस्ट्रेलिया आदि सोलह देशों के साहित्यकारों एवं सम्माननीय विदूषियों-विद्वानों के साथ काव्यपाठ एवं विचार विमर्श शामिल है। मासिक पत्रिका के उप-सम्पादक भी हैं। लेखन का उद्देश्य ज्ञान की गंगा बहाते हुए मुरझाए हुए जीवन को कुसुम-सा खिलाना, सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार कर सकारात्मक सोच को पल्लवित-पुष्पित करना,स्वान्त:सुखाय एवं लोक कल्याण करना है। श्री चौरसिया की रचनाएँ कई समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं।

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