है आग धधकती सीने में
अब काश्मीर-काश्मीर बंद करो,
चिनाब में डुबाओ ले जा के
या लालचौक पे अंग भंग करो।
जिस तिरंगे को लहराते शान से
कब तक उसका कफन बनाएंगे,
कपोत घायल हुए रक्त से और
हम शांति की बीन बजाएंगें।
आग लगा दो उस घाटी में
जिसको हमसे नफरत है,
हम भी देखें अब किसकी
और कितनी कैसी जुर्रत है।
खाते जो हैं भारत का
गुणगान पाक का जो करें,
अपने बच्चों का पेट काटकर
कब तक अब उनका पेट भरें।
ममता की लोरी भूल के घाटी
जो बर्बर गीत सुनाती है,
सूनी कर दो उसकी गलियाँ
जो भारत `माँ` पे गुर्राती है।
एक बार उनको हाँ कर दो
जो रोज पत्थर खाते हैं,
कमजर्फ़ों को ये सिखला दो
वीर शांतिपथ से ही आते हैं।
घाटी के गद्दारों सुन लो अब
कोई सपूत शहीद नहीं होगा,
माँ भारती का मस्तक तो होगा
पर वो काश्मीर नहीं होगा,
माँ भारती का मस्तक तो होगा…
पर वो काश्मीर नहीं होगा।
#अवनीश जैन
परिचय:लेखन,भाषण,कला और साहित्य की लगभग हर कला में पारंगत अवनीश जैन बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। ४७ बरस के श्री जैन ने महज ९ वर्ष की उम्र में पत्रकारिता से जिंदगी की शुरुआत की और विभिन्न व्यवसायों में यात्रा करते हुए कई वर्षों से शिक्षा और प्रशिक्षण में व्यस्त हैं। इंदौर निवासी श्री जैन कई औद्योगिक और रहवासी संस्थानों के वास्तु सलाहकार भी हैं। अब तक कई कविताएं-कहानियाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। लिखना आपकी पंसद का कार्य है,साथ ही शिक्षा के छोटे-बड़े कई संस्थानों में प्रेरणादायक प्रशिक्षक के तौर पर अनेक कार्यक्रम कर चुके हैंl