मतदान दिवस विशेष…..
चलने लगी पुरवैया,
देखो बदलाव की।
आई है बेला फिर से,
देखो मतदान की।
ओ बहनों आओ,
माताओं आओ।
ओ भैया आओ,
भाभी भी आओ।
कर लो अब मतदान रे।
चलने लगी…………
जो झूठे मूठे ,
सपने दिखाए।
धन और दारू का,
लालच दिखाए।
उसे ना देना मतदान रे।
चलने लगी………….
गाँव शहर जो,
निर्मल बनाए।
वादे अपने जो,
सारे निभाए।
देना उसे ही मतदान रे।
चलने लगी…………
पाँच बरस तक,
जिसने रुलाया।
काम हमारा ना,
जिसने कराया।
अब देना उसको ठेंगा रे।
चलने लगी………….
हम जिसको चाहें,
राजा बनाएं।
हम जिसको चाहें,
रंक बनाएं।
सही गलत पहचान रे।
चलने लगी………..
जाति धर्म से ,
ऊपर उठकर।
अच्छे नागरिक,
तुम सब बनकर।
करना सब मतदान रे।
चलने लगी………….
वोट कोई भी ,
व्यर्थ ना जाए।
समझाने हम,
ये हैं आए।
शक्ति वोट की पहचान रे।
चलने लगी……………
स्वरचित
सपना (स. अ.)
जनपद-औरैया