वर्तमान

0 0
Read Time2 Minute, 58 Second

(१)
बिना सीखे आप साइकिल की पंचर तक नहीं बना सकते हैं लेकिन किसी भी राजनीतिक मुद्दे पर लंबी-लंबी छोड़ सकते हैं। 
(२)
कौन किस मुद्दे का समर्थन या विरोध करेगा इसके लिए ये बिल्कुल ही गैर जरूरी है कि वो हितकर है या अहितकर देखने वाली बात सिर्फ ये है कि वो किस धड़े का है।
(३)
पत्नियां पति से, सास बहू से, कर्मचारी अधिकारी से और जनता सरकार से हमेशा नाराज ही रहती है।
(४)
 पुलिस नेता और कुत्ता ये ऐसे जीव हैं जिसे कोई भी गाली दे सकता है। 
(५)
सरकार समर्थक और पति ये दोनों ऐसे सर्वनाम हैं जिन्हें हमेशा तुच्छ नजरों से ही देखा जाता है। 
(६)
गरीब, दलित और महिला हमेशा प्रताड़ित ही होती है। 
(७)
भक्त और मोदी का आपस में वही संबंध है जो एडविना आंटी का चाचा नेहरू से। 
सब अच्छा है बरगद में
पर एक बुराई तो है ही
कि वो अपने नीचे दूसरे को पनपने नहीं देता
(८)
दवाएं डालिये
निराई करिए
गुड़ाई करिए
पर खर पतवार कभी समाप्त नहीं होंगे
(९)
‘है’ और ‘नहीं है’ के 
दिमागी उठक बैठक के बीच
‘भगवान’ किसी चूल्हे पर चढ़ी हुई वह खाली हांडी है जिसके भरोसे कोई मजबूर माँ 
अपने भूखे बच्चे को सुला सकती है। 
(१०)
समाधि की चाहत में जल्दबाजी करने वाला नशे की लत का शिकार हो जाता है।
और अध्यात्म को धंधा बनाने वाला आशाराम!
(११)
आस्था के आशाराम हो जाने के लिए बेटी के बाप का अंधभक्त  का होना भी जरूरी है और सत्ता के निरंकुश होने के लिए जनता की अंधभक्ति!
(१२)
प्रेम करने के लिए दो दिलों की जरूरत होती है
और प्रेम को सफल बनाने के लिए एक अदद नौकरी की!
(१३)
कहानियां झूठ को सच की तरह कह देने का कलात्मक उदाहरण होती हैं और पत्रकारिता पानी में आग लगाने वालों का एक ब्यवस्थित तंत्र!
(१४)
दुनिया के 99 % लोग कर्मठी ईमानदार और प्रेम करने वाले हैं बाकी 1% लोग मेरे आसपास हैं। (ऐसा कई लोगों को लगता है)
(१५)
प्रेम का सुपात्र ढूढ़ते ढूढ़ते जब तक वह मिलता है तब तक ब्यक्ति ख़ुद कुपात्र हो जाता है।
(१६)
कुंआ कितना भी छोटा हो लेकिन उसमें मेढ़क बहुत बड़े बड़े रहते हैं।

#दिवाकर पांडे

matruadmin

Next Post

सद्कर्म

Sat Feb 20 , 2021
जो भी कर्म हम कर रहे उसे समझ लें हम यार परमात्म आँख देख रही खड़ी हमे उस पार आत्मा को जो अच्छा लगे ऐसा सदकर्म करे हर बार तभी हमें मिल सकेगा परम् पिता का प्यार कोई जगह ऐसी नही है जिस पर न पड़ सके परमात्मा की नजर […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।