दिल की खुली किताबों पर,
मैं प्रियवर तेरा नाम लिखूं।
इसके हर कोरे पन्ने पर तेरे, संग महकती शाम लिखूं।।
जीवन के कोरे कागज़ हैं,
जो तुम आओ तो रंग खिले।
तेरे संग चले मेरी साँसें,तेरे साथ ही पूर्ण विराम लिखूं।।
#सुमित अग्रवाल
परिचय : सुमित अग्रवाल 1984 में सिवनी (चक्की खमरिया) में जन्मे हैं। नोएडा में वरिष्ठ अभियंता के पद पर कार्यरत श्री अग्रवाल लेखन में अब तक हास्य व्यंग्य,कविता,ग़ज़ल के साथ ही ग्रामीण अंचल के गीत भी लिख चुके हैं। इन्हें कविताओं से बचपन में ही प्यार हो गया था। तब से ही इनकी हमसफ़र भी कविताएँ हैं।