वो मेट्रो वाली लड़की

0 0
Read Time2 Minute, 34 Second

salil saroj

वो मेट्रो वाली लड़की
मुझे रोज़ सुबह मिलती है
मैं किसी पतंगे सा बदहवास
वो किसी फूल सा खिलती है
मैं धक्के-मुक्की से ही परेशान
वो किसी रोशनी सी बिखरती है
दरवाज़े के एक कोने पे खड़ा
मैं बस उसे ही देखे जाता हूँ
आज या कल कभी तो बात होगी
मन ही मन में सोचे जाता हूँ
उसके हाथों में सिमटी हुई किताब
कोमल उँगलियों में लिपटी हिज़ाब
वो लटों को बार बार सुलझाती है
मेरे सोए अरमानों में आग लगाती है
वो वहाँ न जाने किस बात पे मुस्कुराती है
और यहाँ मेरी तबियत खुश हो जाती है
वो फोन पे बातें किए जाती है
हुश्न की दावतें दिए जाती है
उसकी लाली,सुर्खी,आँखों का काजल
बिंदी,मेहंदी कर दे किसी को पागल
उझको देखते-देखते मैं अपने स्टेशन से आगे ही चला जाता हूँ
वो जहाँ उतरती है मैं भी वहीं उतर जाता हूँ
वो मुझे देखती भी है कुछ पता नहीं
मेरे बारे में क्या सोचती है कुछ पता नहीं
पर हाँ, उसक छूटा किताब तो कभी रुमाल
उसे रोज़ उसी सीट पर मिल जाता है
और चहक के जब मुझे देखती है
तो मेरा दिल खिल जाता है
#सलिल सरोज

परिचय

नई दिल्ली
शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011),  जीजस एन्ड मेरीकॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)।

प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका”कोशिश” का संपादन एवं प्रकाशन, “मित्र-मधुर”पत्रिका में कविताओं का चुनाव।सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

*चुनावी रंगीनियाँ*

Thu Sep 6 , 2018
हमारे गांव में सुबह से ही लोगों का जमावड़ा लगा था,चुनावी प्रचार के सिलसिले में नेता जी आने वाले थे। उनके साथ कोई अदाकारा भी आएंगी! लोग आपस में चर्चा कर रहे थे। जिन लोगों ने कभी अपने गांव की कच्ची सड़कों पर मोटर कार नहीं देखा आज वो हेलीकॉप्टर […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।