नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )
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उम्र के बदलाव से कभी ना बदले राखी का त्यौहार।
छोटी थी जब बहन,तो रक्षाबंधन पर सुबह से तैयार।।
पढ़ते समय भाई बहन में और बढ़ता जाता प्यार।
बहन की रक्षा करने को भाई किसी भी समय तैयार।।
समय बीतने पर जब शादी कर बहन की विदाई का समय आता।
भाई – बहन का प्यार समय बीतने पर और भी बढ़ता जाता।।
समय के बदलाव में जब बहन के जीवन मे नए रिश्ते जुड़ते जाए।
राखी के दिन भाई से मिलने के लिए पति की आज्ञा बड़ी मुश्किल से पाए।।
बढ़ जाये जब उम्र और चाहे दोनों हो जाये बूढ़े।
पर राखी का त्यौहार कुछ ऐसा दोनों एक दूसरे की तरफ दौड़े।।
कुछ ऐसे ही धीरे धीरे वक्त जाता है घटता।
अपने अपने परिवारों की जिम्मेदारियों में भाई बहन का प्यार कभी ना घटता।।
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