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अजन्मा,अशरीरी,
निराकार कहलाता है
ज्योतिबिंदु स्वरूप है
दिव्यता फैहराता है
पिता हमारा पालक वह
आंनद सुखदाता है
प्रेम का महासागर है
प्रेम ही बरसाता है
पवित्रता का पाठ पढाये
विदेहीपन सिखलाता है
राजयोग पाठ्यक्रम है
ज्ञान सारा बतलाता है।
#श्रीगोपाल नारसन
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