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आशिक जब माशूका का शौहर बन जाएगा,
इश्क का मीठा गुड़ यारों गोबर बन जाएगा।
कहलाएगा बॉस शहर में,पर अपने घर में,
बेगम का ताबेदार वो नौकर बन जाएगा।
रोएगा दिल में,हँस के दिखलाए महफ़िल में,
अपने ही घर सर्कस का जोकर बन जाएगा।
आया तो बन चुका,वो बच्चों को खिलाता है,
धोबी बीवी के कपड़े धोकर बन जाएगा।
जिसकी चाबी हरदम बीवी के हाथों में हो,
कभी-कभी खुलने वाला लॉकर बन जाएगा।
माँ-बाप दोस्तों से,वो ‘कमल’ बेगाना कर देगी,
अपनों से पराया उसके संग होकर बन जाएगा।
#मुकेश ‘कमल’
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उम्दा….
Shukriya harpreet kaur ji….