महिलाओ की जिद्द

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अंतराष्ट्रीय महिला दिवस विशेष……

साथियो आज एक ऐसा विषय को लेकर आपके सामने आया हूँ। जिस पर हर इंसान एक दम से वोना हो जाता है। उसे अच्छे बुरे का ज्ञान होते हुए भी वह असहाय सा दिखता है। और ये विषय है नारी की जिद्द ? बड़े बड़े विद्धमान लोग भी इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिये देने से कतराते है। क्योकि उन्हें भी नहीं पता की क्या कुछ हो सकता है, इस विषय के सन्दर्भ ?
परन्तु इसका सही उत्तर हमारे मां बाप और घर के बड़े बूढ़े बड़ी ही सरलता से इस समस्या को सुलझा देते है। तभी तो एकल परिवार की प्रथा हमारे हिंदुस्तान में कायम रही। परन्तु समय के साथ लोग पढ़ लिखकर आधुनिकता की आंधी में तो बाहते चले गए। परन्तु व्यवहारिक और सामाजिक ज्ञान को छोड़ते गए, क्योकि ये सब बाते हमारे वर्त्तमान पाठ्यक्रमों में नहीं है। ये सब तो अनुभव और समाज में रहते हुए अनपढ़ लोग भी बहुत ही अच्छे तरीके से सुलझा लेते है। परन्तु आज की पीढ़ी ये सब नहीं सुलझा पाती।और वो पत्नी की हर जिद्द को बिना सोचे समझे पूरी करते रहते है। तो क्या हम ऐसे लोगो को शिक्षित कहेंगे या उन लोगो को जिन्होंने बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटी से कोई भी डिग्रियां नहीं ली …….? परन्तु हर समस्या का समाधान उन लोगो के पास होता था।
एक परिवार की ये छोटी सी घटना आप को बताना चाहा रहा हूँ। एक अनपढ़ माँ ने अपने बेटे को उसके बाप का साया सिर पर न होते हुए भी तमाम कष्टों को सहते हुए, पढ़ा लिखाया और इस काबिल उसे बनाया की लोग उसे बहुत ही इज्जत और आदर की नजरो से देखने लगे।बेटे ने भी अपनी माँ को देखते हुए मेहनत लगन से उच्च शिक्षा ग्रहण करके अपनी माँ को समाज और अपने गांव में सम्मान दिलाया। परन्तु इस हँसे परिवार में जब उथल पुथल जब मच गई जब बेटे ने अपनी पसंद की एक उच्च शिक्षित लड़की से शादी का प्रस्ताव मां के सामने रखा, और मां ने अपनी स्वीकृति दे दी और दोनों की शादी हो गई। बेटा अपनी मां को बहुत पूजता था, और हर बात उनसे शेयर करता था, की आज आफिस में क्या कुछ हुआ और मां भी कभी उसे सत्य और असत्य की परिभाषा समझा देती थी ताकि वो कभी गलत दिशा में न भटके। अब जब घर में एक नया सदस्य शामिल हुआ तो उसे भी इस मंत्रिणा में मां ने शामिल होने के लिए बहु को भी कहाँ। परन्तु उच्च शिक्षित बहु को ये सब पसंद नहीं आता था, और वो अपने दूसरे मनोरंजन साधनो में अपने आप को व्यस्त रखती थी। परन्तु मां बेटा अपनी आदत के अनुसार ही रोज चर्चा करते रहे। ये बात बहु को अब चुभने लगी, क्योकि वो इस में शामिल नहीं होती थी। एक दिन घर में खाना खाते समय पत्नी ने एक सवाल पति से किया की मानो की एक नदी में और माँ डूब रहे है, तो तुम किस को पहले बचाओगे ? पति ने इस प्रश्न को हंसी में टाल दिया। परन्तु नारी की जिद्द तो जिद्द होती है न। इस प्रश्न का उसने उत्तर न देने के कारण हँसता खिल खिलाता परिवार में कलह होने लगी। बेटा इस प्रश्न का उत्तर क्या दे ? मां अनपढ़ होते हुए भी बहुत समझदार थी। जबकि उसे तैरना नहीं आता था, परन्तु घर की कलह को मिटने के लिए माँ ने तैराकी ६० साल की उम्र में सीखना शुरू किया और १५ दिनों में सिख गई। बेटा को अब समझ आ गया की मां ने ऐसा क्यों किया ?
पत्नी अपनी जिद्द पर अड़ी हुई थी और बार बार उत्तर देने को कहती अपने पति को। एक दिन पति ने उत्तर दिया तो आप सब सुनकर अचंभित रह जाओगे। बेटे कहा देखो प्रिये जब इस तरह की परस्थिति आएगी तो मां तो तैरकर नदी से निकल जाएगी और मुझे और तुम्हे तैरना नहीं है आता तो तुम्हारा हाल क्या होगा ये तुम ……समझ सकती हो। ये बात सुनकर बहु की जो हालत हुई, उसके बाद उसने कभी भी अपने परिवार में कोई भी ऐसा काम नहीं किया और रोज की बातचीत में अपने को भी शामिल करके अपनी आधुनिकता वाली आदत को बदलकर एक सभ्य और अच्छी पत्नी और बहु का फर्ज अदा किया। दोस्तों इसलिए हमारे ऊपर हमारे बड़े बूढ़ो का हाथ, यदि सर पर रहेगा तो कभी भी परिवार टूट नहीं सकते है। और न ही कभी बिखर सकते है। कहते है न बंद मुट्ठी लाख की और यदि खुल गई तो खाक की। इसलिए हम माँ बाप से अनुरोध करते है की अपने बच्चो में शिक्षा के साथ संस्कार और व्यवाहरिक ज्ञान भी दे। ताकि वो अपने जीवन में कभी भी गलत दिशा में न भटकेंगे।
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं।
करता हूँ नारी को
दिल से प्रणाम।
कितना करती है
निस्वार्थ भाव से।
परिवार की सेवा
और उसका संचालन।
न कोई पैसा
और न कोई छुट्टी।
फिर भी लगी रहती
तन मन धन से सदा।।

#संजय जैन

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

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