मन उदास है ,
कोई ना पास है।
ना कोई आस है,
ना कोई प्यास है।
थका है तन मन,
है दिल में उलझन।
बोझ लगे है जीवन,
है खुद से ही अनबन।
हैं आशाएं टूटी,
हैं दिलासाएं झूठी।
किस्मत है रूठी,
खुशियां भी रूठी।
पास हैं खजाने,
ना जीने के बहाने।
जख्म हैं ये पुराने,
ना कोई ये जाने।
ना कुछ रास आए,
ना कुछ भी भाए।
अब चैन ना आए,
दिल सुकून कैसे पाएं।
बहे अश्रुधारा,
रोए दिल बेचारा।
है कोई ना सहारा,
किया सबने किनारा।
क्या होली दीवाली,
क्या ऋतु मतवाली।
क्या अब हरियाली,
जब किस्मत ही काली।
कोई तो आए,
धीरज बंधाए।
हंसना सिखाए,
कभी ना रुलाए।
तुम्ही मेरे स्वामी,
तुम्ही अन्तर्यामी।
मेरे मन की सुनामी,
शांत करो मेरे स्वामी।
नैया पार लगाओ,
प्रभु आ भी जाओ।
खिवैया बन जाओ,
ना अब देर लगाओ।
रचना
सपना (स०अ०)
जनपद औरैया