मन की पीड़ा 

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rajendr rahi
खा रहे हैं पाप धन की जो मलाई,
क्या करेंगे जिन्दगी में वो भलाई।
चाटुकारी कान भरना काम इनका,
इनने ही तो देश की जनता सताई।
तुम भी खाओ-हम भी खाएं देश का धन,
कौन दे ईमान की घर-घर सफाई।
पश्चिमी सोचें अभी तक क्यों हैं जिन्दा,
जिसकी खातिर जान लोगों ने गंवाई।
ज्ञान का साधक कहाँ जाए बताओ,
अब नकल आरक्षणों से है कमाई।
निज हितों पार्टी हितों बस काम करना,
भूख कैसी मतों की तुमने जगाई।
मुफ्त में धन को लुटा आदी बनाया,
आत्मनिर्भर नीतियाँ क्यों बन न पाई।
चीन गोरे पाक सब दुश्मन हमारे,
किस तरह जनतंत्र को दे दें दुहाई।
पाप धंधे चल रहे हैं क्यों धरा पर,
क्यों नहीं हैं नेक धंधों की कमाई।
काम का साहित्य घर-घर आज आता,
सोच जड़ से क्यों नहीं तुमने भगाई।
देशभक्ति नेकनीति दृढ़ प्रशासन,
बस यही है देश की गाढ़ी कमाई।
हम जगें सब देश को मिलकर जगाएं,
आज ‘राही’ ने मन की पीड़ा है बताई॥
#राजेन्द्र शर्मा ‘राही’
परिचय: राजेन्द्र शर्मा ‘राही’ का निवास वर्तमान में इंदौर के खजराना क्षेत्र में है। जन्मतिथि-बारह अप्रैल उन्नीस सौ चौंसठ तथ जन्मस्थान-ग्वालियर(मध्यप्रदेश) है। इंदौर निवासी श्री शर्मा की शिक्षा-बी.ई.(सिविल) और कार्यक्षेत्र-आगरमालवा है। सामाजिक क्षेत्र-ग्वालियर के साथ इन्दौर भी है। आप छंद एवं गज़ल सहित लेख भी लिखते हैं। प्रकाशन में चेतना के स्वर,जीवन के सरोकार प्रेस में आपके नाम है। आपको मैथिलीशरण गुप्त सम्मान,शिव सम्मान,साहित्य सौरभ सम्मान,राष्ट्रभाषा आचार्य सम्मान,म.प्र. संपादक रत्न सम्मान और कला आराधक सम्मान सहित अनेक सम्मान मिले हैं। लेखन का उद्देश्य-सामयिक विषय पर चिंतन कर देश-समाज को 

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