उड़े उड़े रे गुलाल मालवा में,
गाल हुवा लाल लाल मालवा में,
म्हारी प्यारी इंदौर नगरी ,
खूब या पे होली जमरी,
छोरा छोरी होल खेले ,
रंग रंगीला चेहरा डोले ,
होली खेले रे लड्डू गोपाल मालवा में,
घणी मचे रे धमाल मालवा में |(१)
टोरी कार्नर की गेर न्यारी,
हाथी घोडा गाड़ी और लारी,
उची उची चले धार रंग री,
मस्ती और ठंडाई भंग री,
काला पिला और गुलाबी गाल मालवा में,
घणी मचे रे धमाल मालवा में |(२)
मोत गमी को शोक मनावे,
रंग डालवा सबका घरे जावे ,
छोटा बड़ा से कई फ़र्क नि पड्यो,
जाति धरम का नाम पे नि लडयो,
मिली जुली के खेले रे गुलाल मालवा में ,
घणी मचे रे धमाल मालवा में |(३)
आखा गाम की एकज बने होली ,
छोटा बड़ा सबकी एकज टोली ,
आखी रात होली बनवावे ,
जल्दी सवेरे उके जलावे ,
एकता की घणी रे मिसाल मालवा में ,
घणी मचे रे धमाल मालवा में |(४)
बड़ा बुडा का पगे लागे ,
आशीर्वाद से भाग जागे ,
बेन भाभी के भी रंग लगावे ,
मर्यादा को पाठ पडावे ,pri
संस्कारो को घनो हे जाल मालवा में ,
घणी मचे रे धमाल मालवा में (५)
रंग पंचमी को रंग अलग हे
गेर और दोस्तों को संग अलग हे
आखा देश में नि परमपरा एसी
मालवा की हे गभीर धरा एसी
रंग पंचमी की गेरे मजेदार मालवा में
घणी मचे रे धमाल मालवा में (६)
राजेश भंडारी “बाबू”
इंदौर(मध्यप्रदेश)