सामाजिक और असामाजिक तत्वो के बीच संतुलन कैसे संभव हो।

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सामाजिक और असामाजिक तत्व दो अलग विचार धाराये है, जिनका संतुलन होना जमीन आसमा को एक करने जैसा है। बहुत से सभाज सुधारक ने इस पर अध्ययन किया और प्रयास भी किए बहुत सारी सामाजिक कुरीतियो को समाप्त भी किया गया जैसे सती प्रथा,बाल विवाह विधवा विवाह दहेज प्रथा आदि लेकिन सामाजिक संतुलन ऐसे असामाजिक तत्व जो अफवाहो के जरिये अशांति फैलाते हैं इनकी संख्या बढती गयी।कभी धर्म कभी जाति कभी गौहत्या कभी राष्ट्रबाद कभी लव जिहाद कभी धर्म परिवर्तन हलांकि सरकार द्वारा सख्त आदेश भी समय समय पर जारी होते रहे हैं लेकिन जिनका मकसद ही बन जाय वो शांति पसंद कैसे कर सकते हैं?

जहाँ तक संतुलन का सवाल है वह संतुलन सिर्फ राष्ट्रबाद से निकल सकता है एक देश एक कानून एक झंडा उसके नीचे सभी यह सभी को मान्य होनी चाहिए ऐसी भूख जगानी होगी कुछ कठोर निर्णय लेने होगे।सरकार तो कानून बनाती है उसे देशहित के मद्देनजर कानून के सिपाही को अमलीजामा पहनाना होगा।

एक सख्त सिस्टम विकसित करनी होगी ताकि उन आदेशो का पालन हो जो देशहित और शांति सुरक्षा प्रदान करे।विगत कुछ वर्षो में एक अलग ट्रेण्ड उभरा है देश के शीर्षत्तम लोगो का निशाना बनाना नतीजा यह हुआ कि वे और भी मशहूर हो गये। आलोचना की एक सीमा है कभी कभी अत्यधिक आलोचना लोगो को मशहूर कर देती है ।

असामाजिक तत्व की केवल मंशा यही होती है कि डर पैदा कर अपनी रोटी सेकी जाय तो सामाजिक लोगो को भी ऐसी व्यवस्था करनी होगी जिसमें वे भी उन असाजिक तत्वो के मन मे डर पैदा कर सके यदिऐ ऐसा हो गया तो संतुलन खुद बन जाएगा बाकि का बचा काम सिस्टम कर देगा। जब तक इनलोगो के मन में डर न हो ये मनमानी करते रहेगे इसलिए कठोर और सख्त कदम की जरूरत है ताकि सामाजिक संतुलन बना रह सके।

“आशुतोष”

नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।