तुम बनकर दोस्त
आये जिदंगी में l
कि हम ये जमाना
ही भूल गये l
तुम्हें याद आए
ना आए हमारी l
पर हम तो तुम्हें
भुलाना ही भूल गये l।
जब से मिला हूँ तुम से,
याद तुम्हें ही करता हूँ।
छोटी बड़ी बाते मुझे,
याद तुम्हारी दिलाती है।
भले ही जिंदगी के,
पथ पर साथ न हो।
पर जिंदगी को जीने का,
अंदाज तुमसे ही सीखा है।।
गमो को भूलकर,
खुशी में जियो।
कल की चिंता छोड़कर,
आज के लिए सोचो।
जीवन तुम्हारा,
स्वर्ग बन जायेगा।
फिर लोगो का ध्यान,
तुम्हारे ऊपर पर आएगा।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।