आधुनिकता के इस दौर में न राम है न राम सा।
न माता कौशल्या सी न पिता राजा दशरथ सा।
सीता सी नारी नहीं अब जो दे सके अग्नि परीक्षा,
समाज उस पर ऊंगली उठाए कैसे हो उसकी रक्षा।
लक्ष्मण सा भाई नहीं देखा जो चल दिये वनवास,
भाई-भाई का दुश्मन बना अब कौन करे विश्वास।
न भक्त भयो हनुमान सा जो जाप करें दिन-रात,
अपनी सुध-बुध खोकर जो भक्ति करें निश्वार्थ।
रावण आज खुलेआम घूम रहा बैठा घात लगाय,
महफ़ूज नहीं नारी यहाँ अब देश को कैसे बचाय।
पुतला बना रावण का दहन कर खुशियाँ मनाते हैं,
मन के भीतर छुपे रावण को क्यों नही समझाते हैं।
दुर्विचारों का त्यागो रावण दहन सफल हो जायेगा,
मानसिकता बदलो तो रावण जन्म नही ले पायेगा।
#सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा(उत्तरप्रदेश)
नाम :- सुमन अग्रवाल
पिता का नाम :- श्री रामजी लाल सिंघल
माता का नाम :- श्रीमती उर्मिला देवी
शिक्षा :-बी. ए.
व्यवसाय :- हाउस वाइफ
प्रकाशित रचनाएँ :-
प्रकाशित रचनाओं का विवरण :-
1.अग्रवंश दर्पण :-“नारी सुरक्षा चूंक कहाँ “, “महिला सशक्तिकरण “, “500-1000 के नोट बाय-बाय”, “दहेज प्रथा”, “अग्रप्रर्वतक महाराज अग्रसेन जी पर कविता” इत्यादि।
2.हिचकी :- “ये होली का त्यौहार”
3.D.L.A :- “आतंकवाद”, “बालदिवस”, “करवा चौथ”, आतंक का साया, “नववर्ष मुबारक”, “राष्ट्रप्रेमी” इत्यादि।
4.नारी शक्ति सागर :- “ग़ज़ल”
वर्तमान अंकुर नोएडा :- “घर-परिवार, नारी शक्ति, भारतीय लोकतंत्र
साहित्य एक्सप्रेस में – नव संवत्सर
6.सहित्यापीडिया :- माँ