हिन्दी

0 0
Read Time4 Minute, 2 Second

mukesh moulav

हिंदी व्याकरण हताशा देख रहा हूँ ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ ।
अलंकार को भूखा प्यासा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !
चुटकुला कवि में खासा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !
अश्लीलता को फ़िज़ा सा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !
अंग्रेजी से प्यार माँ सा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !
देशनावचन केवल झांसा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !
उर्दू ने भी फेंका पांसा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !
राष्ट्रभाषा उन्मूलन खां सा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !!
#मुकेश मोलवा
परिचय- इंदौर निवासी हिन्दी कवि सम्मेलनों में वीर रस और ओज के कवि मुकेश मोलवा वर्तमान समय के नक्षत्र है|
नाम – मुकेश मोलवा
माता- मानीबाई जी मोलवा
पिता- कानालालजी मोलवा
जन्मस्थान- रतनपुरा (धार)
शिक्षा- MBA, MA, Bsc
निवास- इंदौर(मध्यप्रदेश)
प्रसिद्ध कविता- 
बख्तावरसिंह मालवा के प्रथम शहीद 1857
महाराणा प्रताप और चेतक
हरिसिंह नलवा
चन्द्रशेखर आजाद अल्फ्रेड पार्क में
मालवा का गौरव
पेशवा बाजीराव
लोकमाता अहिल्याबाई
विक्रमादित्य 
भोजशाला
सुभाष सच्चा भारतरत्न
भारतीय सेना के जयघोष
*मैं हिन्दू हु*
वर्तमान समसामयिक अनेक रचना
काव्यग्रन्थ- 
धेनु ही धर्म (आने वाला है) 
जिसमे वेदों उपनिषदों पुराणों देवो से जुड़े धेनु के प्रसंग विशुद्ध देवनागरी (शुद्ध हिन्दी) मे रचे है।
विशेष- 
मंचो आरम्भ किया तो कविता के पात्र के अनुरुप भाषा चयन किया विशुद्ध हिंदी को नही सुना जाता इसे सरल करो यह दबाव रहा पर अपने प्रण पर अडिग रहा।
फुहड़ चुटकुलों द्विअर्थी संवादों से दूर रह कर केवल कविता से स्वयं को प्रमाणित करता दुष्कर है पर उस माँ शारदा ने यह कठिन कार्य करवा लिया।।
फिर आदर्श स्थापित करने की बात आई तो धोती कुर्ता साफा जो प्रथम दृष्टि भारतीयता का सबसे बड़ा परिचायक है वह पहनना शुरू किया तो कुछ लोगो ने इसका भी विरोध किया पर सच कहूं तो इसी भाषा शिल्प और इसी विवेकानंद अनुयायी की तरह स्वयं को प्रमाणित करने के लिये स्वाध्याय और निरंतर साधना जिसके परिणामस्वरूप माँ में पहचान दी।
*डूंगरपुर* जब देश के सबसे श्रेष्ठ कवि  (हाइ प्रोफ़ाइल) ने बड़े दिग्गज कवियो के साथ षड्यंत्र कर आयोजन के 1 घन्टे पहले फेसबुक से सूचना दी कि कोई कवि नही आ रहे तब तक महीनों के प्रचार के कारण 12- 15 हजार श्रोता आ चुके थे, स्थानीय संचालक और नवोदित कवियो को तैयार कर कार्यक्रम आरम्भ किया नवोदित सब 10 मिनिट के थे पता नही क्या हुआ फिर जब मन्च संभाला तो कार्यक्रम को 3 घन्टे हो चुके थे वही जन सैलाब खड़े होकर माँ हिंदी के सम्मान में तालियो की गड़गड़ाहट कर रहा था

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मासिक धर्म अंधविश्वास नहीं , प्रक्रिया है

Mon Jul 16 , 2018
पिछले हजारों सालों में समाज के अन्दर महिलाओं की स्थिति में बहुत बड़े स्तर पर बदलाव हुआ है। अगर गुज़रे चालीस-पचास सालों को ही देखे तो हमें पता चलता है की महिलाओं को पुरुषों के बराबर हक़ मिले, इस पर बहुत ज्यादा काम किया गया है। हम यह तो नहीं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।