हिंदी व्याकरण हताशा देख रहा हूँ ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ ।
अलंकार को भूखा प्यासा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !
चुटकुला कवि में खासा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !
अश्लीलता को फ़िज़ा सा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !
अंग्रेजी से प्यार माँ सा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !
देशनावचन केवल झांसा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !
उर्दू ने भी फेंका पांसा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !
राष्ट्रभाषा उन्मूलन खां सा देख रहा हूँ,
महफ़िल में खूब तमाशा देख रहा हूँ !!
#मुकेश मोलवा
परिचय- इंदौर निवासी हिन्दी कवि सम्मेलनों में वीर रस और ओज के कवि मुकेश मोलवा वर्तमान समय के नक्षत्र है|
नाम – मुकेश मोलवा
माता- मानीबाई जी मोलवा
पिता- कानालालजी मोलवा
जन्मस्थान- रतनपुरा (धार)
शिक्षा- MBA, MA, Bsc
निवास- इंदौर(मध्यप्रदेश)
प्रसिद्ध कविता-
बख्तावरसिंह मालवा के प्रथम शहीद 1857
महाराणा प्रताप और चेतक
हरिसिंह नलवा
चन्द्रशेखर आजाद अल्फ्रेड पार्क में
मालवा का गौरव
पेशवा बाजीराव
लोकमाता अहिल्याबाई
विक्रमादित्य
भोजशाला
सुभाष सच्चा भारतरत्न
भारतीय सेना के जयघोष
*मैं हिन्दू हु*
वर्तमान समसामयिक अनेक रचना
काव्यग्रन्थ-
धेनु ही धर्म (आने वाला है)
जिसमे वेदों उपनिषदों पुराणों देवो से जुड़े धेनु के प्रसंग विशुद्ध देवनागरी (शुद्ध हिन्दी) मे रचे है।
विशेष-
मंचो आरम्भ किया तो कविता के पात्र के अनुरुप भाषा चयन किया विशुद्ध हिंदी को नही सुना जाता इसे सरल करो यह दबाव रहा पर अपने प्रण पर अडिग रहा।
फुहड़ चुटकुलों द्विअर्थी संवादों से दूर रह कर केवल कविता से स्वयं को प्रमाणित करता दुष्कर है पर उस माँ शारदा ने यह कठिन कार्य करवा लिया।।
फिर आदर्श स्थापित करने की बात आई तो धोती कुर्ता साफा जो प्रथम दृष्टि भारतीयता का सबसे बड़ा परिचायक है वह पहनना शुरू किया तो कुछ लोगो ने इसका भी विरोध किया पर सच कहूं तो इसी भाषा शिल्प और इसी विवेकानंद अनुयायी की तरह स्वयं को प्रमाणित करने के लिये स्वाध्याय और निरंतर साधना जिसके परिणामस्वरूप माँ में पहचान दी।
*डूंगरपुर* जब देश के सबसे श्रेष्ठ कवि (हाइ प्रोफ़ाइल) ने बड़े दिग्गज कवियो के साथ षड्यंत्र कर आयोजन के 1 घन्टे पहले फेसबुक से सूचना दी कि कोई कवि नही आ रहे तब तक महीनों के प्रचार के कारण 12- 15 हजार श्रोता आ चुके थे, स्थानीय संचालक और नवोदित कवियो को तैयार कर कार्यक्रम आरम्भ किया नवोदित सब 10 मिनिट के थे पता नही क्या हुआ फिर जब मन्च संभाला तो कार्यक्रम को 3 घन्टे हो चुके थे वही जन सैलाब खड़े होकर माँ हिंदी के सम्मान में तालियो की गड़गड़ाहट कर रहा था