जिंदगी गुजर रही हो,
आपकी निरोग तो।
मान लेना कि स्वर्ग में हो।
मत होना कभी उदास?
ये सोचकर कि में,
दौलत नहीं कमा पाया।
पर मिला जो वो दौलत,
से भी बड़ी दौलत है।।
जीवन अनमोल है,
नसीब वाला भी है।
जो निरोग होकर,
जीने को मिला है।
मानो अच्छे कर्मों का
फल मिला है।
तो क्यो न इसे,
सार्थक हम बनाये,
और हर घर में स्नेहप्यार
की ज्योत जलाए।
और इंसानों के अन्दर
इंसानियत को जगाये।।
कार्य किये थे पूर्व में,
कुछ अच्छे और सच्चे।
तभी तो मिल गया,
मानव जन्म इस भव में।
अब अगले भव की सोचो,
करो कर्म अच्छे और सच्चे।
और बन जाओ एक मिसाल,
अपने मानव कुल की।।
जीवन है अनमोल इसे,
व्यर्थ न गमाओ।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।