मेरे बाबा तो भोलेनाथ..

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tarkesh ojha
tarkesh ojha

बाबा का संबोधन मेरे लिए अब भी
है उतना ही पवित्र और आकर्षक
जितना  था पहले
अपने बेटे और भोलेनाथ को
मैं अब भी बाबा पुकारता हूं
अंतरात्मा की गहराईयों से
क्योंकि दुनियावी बाबाओं के भयंकर प्रदूषण
से दूषित नहीं हुई दुनिया मेरे आस्था और विश्वास की
अद्भुत आत्मीय लगता है  मुझे अब भी
बाबा का संबोधन
बचपन में  केवल दो बाबा को जानता था मैं
एक बाबा यानि पिता के पिता
दूसरे बाबा यानी भोलेनाथ
स्वयं पिता बनने के बाद
पता नहीं क्यो
बेटे को भी बाबा  पुकारना मुझे अच्छा लगने लगा
हालांकि उम्र बढ़ने के साथ
बाबाओं की दुनिया दिनोंदिन नजर आने लगी
घिनौनी, जटिल और  रहस्यमय
लेकिन चाहे जितने बाबा पकड़े जाएं
घिनौने और सनसनीखेज अपराध में
बाबा का संबोधन मेरे लिए सदैव
बना रहेगा
उतना ही पवित्र और आकर्षक
हमेशा हमेशा …
जितना था पहले
क्योंकि मेरे बाबा तो भोलेनाथ …

#तारकेश कुमार ओझा

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं | तारकेश कुमार ओझा का निवास  भगवानपुर(खड़गपुर,जिला पश्चिम मेदिनीपुर) में है |

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