गीत लिखता हूँ मैं,
और गाता हूँ मैं।
मेरी कल्पना हो तुम,
मेरा आधार तुम।
तुमको देखकर ही
मैं लिखता हूँ ।
अब तुम रुठ गए
तो लिखे कैसे हम।।
तुम मेरी प्रेरणा,
तुम मेरी पूजा हो।
तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूँ।
कैसे में अब लिखू ,
गीत मनहर के।
तुम मुझे जो,
देख ही नहीं रहे।।
मेरी याद हो तुम,
मेरे गीत हो तुम।
मेरी लेखनी का,
आधार हो तुम।
अब मुझे से कुछ,
लिखा जा नहीं रहा।
आ जाओ मेरे खयालों,
में प्रिये तुम।।
लोग लिखने को,
मुझे कह रहे।
पर में कुछ भी,
लिख पा नहीं रहा।
क्योंकि मेरी सरास्वती
मुझे से रुठ गई हैं।
कैसे मैं मनाऊँ
पहले ये तो बताओ।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।