माँ

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niraj tyagi
रात अंधेरी , चाँद अकेला
तारे भी ना जाने कहाँ गए।
काली – काली अँधियारी में,
बेचारा चाँद अकेला क्या करे।
मिल  जाये  आँचल  माँ  का,
इसी उम्मीद में रात भर चले।
सन – सन चल रही जो हवाएं,
उनसे  शायद  फिर  चैन  मिले।
कुछ काले , कुछ उजले बादल
से चाँद आज बहुत घबराया है।
माँ का सर पर हाथ नही अगर,
कोई ऐरा गैरा भी उसे डराता है।
धरती हो या आसमाँ पर कोई,
सब के सर पर माँ का हाथ रहे।
फिर कोई करे कितनी भी कोशिश
नही किसी की हिम्मत फिर कोई
भी   उस  पर  घात   करें ।
#नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )

matruadmin

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