स्तर शिक्षा का

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nisha
बोर्ड परीक्षा एक खेल है,
अंकों की रेलम पेल है.
पास सबको ही करना है,
निरीक्षक का कहना है।

न हो ज्ञान स्वर-वर्णो का,
अंकों की फिर भी होली है..
उतारा है केवल प्रश्नों को,
पास होना उनका जरुरी है।

स्तर होगा शिक्षा का ऐसा,
होगा देश का भविष्य कैसा..
शिक्षक की दुविधा बड़ी है,
साँप-छछूंदर दर की गति है।

स्वर व्यंजन होते कितनेo
कहना क्या मात्राओं का..
पेड़ का पैर हो सकता है,
जूठा झूठा हो सकता है ।

अर्थ का अनर्थ हो रहा,
भाव सब व्यर्थ हो रहा..
बिन मात्रा की भाषा देखी,
आड़ी तिरछी ऐसी वैसी।

दोष नहीं छात्र का इसमें,
यह शिक्षक का दोष है..
गुरु परोसते हैं जैसा,
ग्रहण करते हैं चेले वैसा।

यह आज का सच है,
शिक्षा का यह हश्र है..
गिर रहा शिक्षा का स्तर,
नहीं कहीं है और शिखर।

शिक्षा पूंजी है भारत की,
सबको मिलेगा सच्चा हक..
जोड़कर विद्या को शिक्षा से,
संस्कृति का उत्थान करेगें।

                                                                                        #निशा गुप्ता  

परिचय : श्रीमती निशा गुप्ता का जन्म 1963 में उत्तर प्रदेश के रामपुर में हुआ है। आपके पति एल.पी. गुप्ता के व्यवसाय की वजह से आपका कर्म स्थान तिनसुकिया(असम) ही है,वैसे आपका मध्यप्रदेश से भी रिश्ता है। आपने एम.ए( हिन्दी,समाजशास्त्र व दर्शनशास्त्र) के साथ ही बी.एड (रूहेलखंड यूनिवर्सिटी,बरेली) भी किया है। आप वरिष्ठ अध्यापिका के रुप में विवेकानंद केन्द्र विद्यालय (लाईपुली, तिनसुकिया) में कार्यरत होकर शिक्षण कार्य में 30 वर्ष से हैं। लेखन का आपको लगभग 30 वर्ष का अनुभव सभी विधाओं में है। आपके 6 काव्य संग्रह(भाव गुल्म,शब्दों का आईना,आगाज,जुनून आदि) के साथ ही 14 पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। काव्य संग्रह ‘मुक्त हृदय’ का संपादन भी किया है। 2 बाल उपन्यास (जादूगरनी हलकारा और जादुई शीश महल ),1 शिशु गीत,कहानी संग्रह ‘पगली’,दो सांझा काव्य संग्रह(‘काव्य अमृत’,’पुष्प गंधा’) भी आपके नाम हैं। 1992 से विवेकानंद केन्द्र (कन्याकुमारी) से समाजसेवा के काम में भी जुड़ी हैं। मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से आपको शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में प्रोत्साहन प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया गया था। आप नारायणी साहित्य अकादमी की राष्ट्रीय सचिव, आगमन साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था की असम प्रभारी और राष्ट्रीय स्तर के एनजीओ की असम राज्य की चेयरमैन भी हैं। रामपुर,डिब्रुगढ़ तथा दिल्ली आकाशवाणी से आपके कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। देशभर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं, लेख व कहानियां प्रकाशित होती हैं।आपको वैश्विक साहित्यिक व सांस्कृतिक महोत्सव(इंडोनेशिया और मलेशिया) में ‘साहित्य वैभव अवार्ड’ और दिल्ली से ‘काव्य अमृत’ भी मिला है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।