अपनी आँखें नम न करना

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asha bunkar

 

तुमने कहा था,कि भूल जाना मुझे,

वादा भी किया था मैंने अपने-आपसे

कि,भूल जाऊँगी तुझे..

पर नहीं भुला पाई तुझे और तेरे प्यार कोl।

 

रोज इसी वादे के साथ सुलाती हूँ मैं दिल को,

कि, नहीं याद करेगा वो कल तुझे

पर जब भी खुलती है न मेरी आँखें,

एक ही चेहरा सामने होता है..

हर रोज ही तुझसे बातें करती हूँ ,

मैं तुझे अपने रुबरु जानकरl..

रोज ही करती हूँ तेरा दीदार,

तुझे अपने करीब मानकर।

 

पता नहीं,कब तक जी पाऊँगी ऎसे,

इन ख्वाबों के साथ..

पता नहीं,कब तक बैठी रहूंगी,

मैं यूँ ही खाली हाथ..

जब ये दर्द हो जाएगा

मेरी बर्दाश्त की हदों से बाहर..

उस दिन कहीं  न हद से गुजर जाऊँ,

न कहीं मर जाऊँ..

पर जब भी मेरे तसव्वुर का,

दमन लहराए तेरे जहन पे..

तू खुश होकर याद करना मुझे।

 

मेरे जाने के बाद..

बस इतना करना जब घड़ी आए,

मेरे रुखसत होने की

मेरी नज़रों के सामने रहना,

देखना मुझे उन्हीं प्यार भरी नज़रों से,

यूँ समझना कोई दीवानी मिली थी,

तुम्हें ज़िन्दगी की राहों में..

बस कभी मेरे मिलने का गम न करना,

अपनी आँखें नम न करना।

 

फिर लौट आऊँगी मैं उसी पल,

जब याद करेगा तू..

कभी तेरे होंठों की हँसी,

तो कभी तेरी आँखों का पानी बनकर

बस एक पल महसूस करना मुझे,

और बिखेर देना इन वादियों में

क्योंकि मरने के बाद भी बंधन नहीं चाहती मैं।

 

नहीं चाहती  रस्मो-रिवाजों के बंधन,

बस उड़ना चाहती हूँ खुली हवाओं में,

तो छोड़ देना मुझे खुले आसमान में,

शायद मर कर जी जाऊं मैं कुछ पल सुकून के।

  #आशा बुनकर

परिचय : आशा बुनकर का राजस्थान के जमनापुरी(जयपुर)में निवास हैl १९८३ में जन्मीं हैं और जयपुर से शिक्षा बीएड तथा स्नातकोत्तर(हिन्दी साहित्य) सहित  हिन्दी साहित्य में ही `नेट` उत्तीर्ण हैं।

matruadmin

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