अभी तो काव्य धारा को,किनारे से ही देख रही हूँ,
मैं तो हूँ नवागत,धीरे-धीरे आप सभी से सीख रही हूँ।
काव्य धारा के साथ बहने के लिए
एक संपूर्ण कवि हृदय जरुरी है,
काव्य सागर में डूबने के लिए,उसमें उतरना जरुरी है ।
मैं तो केवल हृदय के उद्गारों को,
कागज पर रेखांकित करती हूँ,
कलम द्वारा मन के भावों को,आप तक पहुंचाती हूँ।
कविता जब बन जाती,खुशियों की चाबी लगती है,
होता है आश्चर्य हमें जब पढ़ते,हमें भी बेगानी लगती है ।।
#अरविंद ताम्रकार ‘सपना’
परिचय : श्रीमति अरविंद ताम्रकार ‘सपना’ की शिक्षा एमए(हिन्दी साहित्य)है।आपकी रुचि लेखन और छोटे बच्चों को पढ़ाने के साथ ही जरुरतमंद की सामर्थ्यानुसार मदद करने में है।आप अपने रचित भजन खुद गाकर व लेखन द्वारा अपने मनोभावों को चित्रित करती हैं। सिवनी(म.प्र.)के समता नगर में आप रहती हैं।
बहुत प्यारी रचना । हार्दिक बधाई सपना जी । स्वागतम्