जिसे जन्नत कहते हैं, वो हिन्दुस्तान हर घड़ी दिखाएँगे

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salil saroj
कुछ इस तरह अपने कलम की जादूगरी दिखाएँगे
किसी की ज़ुल्फ़ों में लहलहाते खेत हरी-भरी दिखाएँगे
छोड़ो उस आसमाँ के चाँद को,मगरूर बहुत है
रातों को अपनी गली में हम चाँद बड़ी-बड़ी दिखाएँगे
किस्सों में जो अब तक तुम सुनते आए सदियों से
मेरा मुँह चूमता हुआ तुम्हें वही पुरनम परी दिखाएँगे
हम यूँ कर देंगे कि भूले नहीं भूलोगे ये शमा
हुश्न के महल में काबिज़ आफताब संगमरमरी दिखाएँगे
जहाँ भी चले जाओ,इतना ही हुश्न बरपा है हर जगह
जिसे जन्नत कहते हैं, वो हिन्दुस्तान हर घड़ी दिखाएँगे
#सलिल सरोज
परिचय : सलिल सरोज जन्म: 3 मार्च,1987,बेगूसराय जिले के नौलागढ़ गाँव में(बिहार)। शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011), जीजस एन्ड मेरी कॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)। प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका”कोशिश” का संपादन एवं प्रकाशन, “मित्र-मधुर”पत्रिका में कविताओं का चुनाव। सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश।पंजाब केसरी ई अखबार ,वेब दुनिया ई अखबार, नवभारत टाइम्स ब्लॉग्स, दैनिक भास्कर ब्लॉग्स,दैनिक जागरण ब्लॉग्स, जय विजय पत्रिका, हिंदुस्तान पटनानामा,सरिता पत्रिका,अमर उजाला काव्य डेस्क समेत 30 से अधिक पत्रिकाओं व अखबारों में मेरी रचनाओं का निरंतर प्रकाशन। भोपाल स्थित आरुषि फॉउंडेशन के द्वारा अखिल भारतीय काव्य लेखन में गुलज़ार द्वारा चयनित प्रथम 20 में स्थान। कार्यालय की वार्षिक हिंदी पत्रिका में रचनाएँ प्रकाशित।

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