कवि सम्राट अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध को समिति में किया स्मरण, कविता का पोस्टर लोकार्पित

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इंदौर। खड़ी बोली के सशक्त कवि तथा संस्कृत छन्दों को हिन्दी में प्रस्तुत करने वाले अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध को सादर स्मरण करते हुए श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति ने कालजयी रचनाकार स्मरण शृंखला में उन्हें याद किया। पहले उनके चित्र के साथ प्रिय प्रवास की एक रचना को रेखांकित करते हुए पोस्टर का अनावरण किया गया। इसके पश्चात समिति के प्रधानमंत्री श्री अरविन्द जवलेकर ने प्रत्येक मंगलवार को होने वाले इस विशिष्ट कार्यक्रम, जिसमें हर बार एक कालजयी साहित्यकार को सादर स्मरण कर उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर हम गोष्ठी करते हैं, के बारे में जानकारी दी।
सर्वप्रथम डाॅ. अखिलेश राव ने प्रिय प्रवास और उनके प्रकृति वर्णन का संदर्भ देते हुए अपनी बात रखी। मनीषा व्यास ने हरिऔध जी के बाल साहित्य और संस्कृत छन्दों का हिन्दी में प्रथम प्रयोग के संदर्भ में उन्हें याद किया। मणिमाला शर्मा ने उनकी सम-सामयिक रचना कर्मवीर सस्वर सुनाई। डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने हिन्दी भाषा के संदर्भ में उन्हें याद करते हुए कवि सम्राट पुकारे जाने का संदर्भ सुनाकर बताया कि ‘वो प्रान्तीय भाषा को भी पूरा सम्मान देेते थे।’
डाॅ. आरती दुबे ने पुराने को नये रूप में गढ़ने के लिए माने जाने वाले कवि को सादर याद किया। उनकी रचना दिवस का अवसान समीप था, गगन था कुछ लोहित हो चला के अलावा संचालन कर रहे डाॅ. पुष्पेन्द्र दुबे ने उनकी बाल रचना में – उठो लाल अब आँखें खोलो… जैसी रचनाएँ सुनाईं।
अंत में आभार प्रबंधमंत्री श्री घनश्याम यादव ने किया। इस अवसर पर श्री हरेराम वाजपेयी, तनिष्का सक्सेना, ममता सक्सेना, रामचन्द्र अवस्थी, राजेश शर्मा, दिनेश नाथ, मुकेश तिवारी, पद्मा राजेन्द्र, डाॅ. अंजना चक्रपाणि मिश्र, डाॅ. दीप्ति गुप्ता, गोविन्द दुबे, श्री अश्विन खरे, सुरेश कुलकर्णी, आलोक खरे, नयन राठी, छोटेलाल भारती, हेमेन्द्र मोदी, कमलेश पाण्डे आदि कई साहित्यकार और सुधीजन उपस्थित थे।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।