कुछ इस तरह अपने कलम की जादूगरी दिखाएँगे किसी की ज़ुल्फ़ों में लहलहाते खेत हरी-भरी दिखाएँगे छोड़ो उस आसमाँ के चाँद को,मगरूर बहुत है रातों को अपनी गली में हम चाँद बड़ी-बड़ी दिखाएँगे किस्सों में जो अब तक तुम सुनते आए सदियों से मेरा मुँह चूमता हुआ तुम्हें वही पुरनम […]