पावन पुण्य है *सुरसरि*, भारत में वरदान।
*देवनदी* कहते सभी, माता सम सम्मान।।
. २
कहे *त्रिपथगा* कुम्भ में, मेला भरे विशाल।
रीत *जाह्नवी* पुण्य की, भक्ति में,जयमाल।।
. ३
*भगीरथी* भू पर बहे, भागीरथी प्रयास।
*देवापगा* सदा रहे, भारत जन की आस।।
. ४
*मंदाकिनी* का नीर तो, अमरित पान समान।
*मोक्षदायिनी* मातु यह, भारत का अरमान।।
. ५
*गंगा* सबका हित करे, अपना भी कर्तव्य।
साफ रखे इस नीर को, भाग्य बनेगा भव्य।।
. ६
पाप विनाशी नीर को, कर मत नर तू गंद।
स्वार्थ मनुज ये त्याग दे,खुद को रख पाबंद।।
. ७
जन जन का सौभाग्य है,इस नदिया के तीर।
न्हाए पीए पाप हर, और मिटे मन पीर।।
. ८
*विष्णुपगा गंगे* सदा, शिव के धारित शीश।
केवट की महिमा बढ़ी, पार उतारे ईश।।
. ९
*ध्रुवनंदा* कहते जिसे, पाप काटती *गंग*।
हिमगिरि से आती सदा,निर्मल जल के संग।।
. १०
*सुरसरिता सुरधुनि* कहें, *नदीश्वरी* हे *गंग*।
*गौराभगिनी हिमसुता*, बहिने दोनो संग।।
. ११
*त्रिपथगामिनी सुरनदी,सुरापगा* सब प्रीत।
शर्मा बाबू लाल यह, लिखे वंदना गीत।।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः