मंजिल भी मिलेगी तुझे एक दिन,
तू हौसलों की उड़ान बनाता चल!
क्योंकि वक़्त बदलते वक्त नही लगता!!
खिलेगी मुस्कुराहट भी तेरी एक दिन,
तू अपनी हसीं से सबको हंसाता चल!
क्योकि वक़्त बदलते वक्त नही लगता!!
थिरक उठेगा तेरी जिंदगी का साज,
तू घुँघरुओ की झंकार बजाता चल!
क्योंकि वक़्त बदलते वक्त नही लगता!!
चमकेंगे जुगनू जरूर तेरी आँखों मे,
बस तू इस हर मोड़ को चमकाता चल!
क्योंकि वक़्त बदलते वक्त नही लगता!!
होगी हर खुशी जल्द तेरी झोली में,
तू बस मेहनत के रंग बिखराता चल!
क्योंकि वक़्त बदलते वक्त नही लगता!!
खिल उठेगा एक दिन तेरा ये उपवन,
तू मेहनत के बस फूल खिलाता चल
क्योंकि वक़्त बदलते वक्त नही लगता!!
लिखा है जो “मलिक” की कलम ने,
“अदब” से इस पर ध्यान लगाता चल!
क्योंकि वक़्त बदलते वक्त नही लगता!!
#सुषमा मलिक “अदब”
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।