1- माथ मुकुट बैठे शुभ आसन ।
हर घर पुजे जाएँ गजानन ।।
2- इनकी करुणा जिस पर बरसे ।
सुख से रहे सदा हिय हरषे ।।
माँ सरस्वती को समर्पित 👏
3 – माँ शारद तेरी बलिहारी ।
देकर ज्ञान हरो तम भारी ।।
4 – जग में तेरी भारी महिमा ।
देती ज्ञान बढ़ाती गरिमा
श्रीमती गीता द्विवेदीसिंगचौरा(छत्तीसगढ़)
मैं गीता द्विवेदी प्रथमिक शाला की शिक्षिका हूँ । स्व अनुभूति से अंतःकरण में अंकुरित साहित्यिक भाव पल्वित और पुष्पीत होकर कविता के रुप में आपके समक्ष प्रस्तुत है । मैं इस विषय में अज्ञानी हूँ रचना लेखक हिन्दी साहित्यिक के माध्यम से राष्ट्र सेवा का काम करना मेरा पसंदीदा कार्य है । मै तीन सौ से अधिक रचना कविता , लगभग 20 कहानियां , 100 मुक्तक ,हाईकु आदि लिख चुकी हूं । स्थानीय समाचार पत्र और कुछ ई-पत्रिका में भी रचना प्रकाशित हुआ है ।