Read Time2 Minute, 41 Second
जियो और जीने दो का सिद्धांत,
जब रूद्ध हो जाए ,
दुश्मनी आवाम,
शांतिदूतों के विरुद्ध हो जाएं,
शांति और सुलह की हर राह,
जब अवरुद्ध हो जाए,
तो जन जन के मन से आवाज आती है,
शुरू,अब युद्ध हो जाए।
हम शांति का बीज रोपते,
तू आतंक की फसल उगा देता,
हम जीवन देने को पानी देते,
तू उसमें भी खून मिला देता,
कभी समझेगा,तू प्यार की भाषा,
इस आशा में,सबकुछ लुटाते रहे,
पीकर आसुओं के घूंट,हम तो,
सर सैनिकों के कटाते रहे ।
अभी मिराज का चखा है मजा,
तू नाराज मत होना,
बाकी है पिज्जा बर्गर सी जायकेदार डिश,
अभी हिम्मत मत खोना,
क्यों करता है पेट भरने का बहाना,
रसोई हमारी भरी हुई है,
सुन ले!तुझे नचाऐंगे डिस्को,
क्योंकि अभी तो पार्टी शुरू हुई है।
मुंह से जहर उगलने वाले,
कुछ अभी समझने तो दे,
आतंकी बगिया के माली,
चमन को कुछ उजड़ने तो दे,
शुरू की है वर्णमाला हमने तो अभी,
कहानी कुछ गढ़ने तो दे,
मांगता क्यों है प्राणों की भीख,
नक्शा जरा कुछ बदलने तो दे।
#अतुल कुमार शर्मा
परिचय:अतुल कुमार शर्मा की जन्मतिथि-१४ सितम्बर १९८२ और जन्म स्थान-सम्भल(उत्तरप्रदेश)हैl आपका वर्तमान निवास सम्भल शहर के शिवाजी चौक में हैl आपने ३ विषयों में एम.ए.(अंग्रेजी,शिक्षाशास्त्र,समाजशास्त्र)किया हैl साथ ही बी.एड.,विशिष्ट बी.टी.सी. और आई.जी.डी.की शिक्षा भी ली हैl निजी शाला(भवानीपुर) में आप प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत हैंl सामाजिक क्षेत्र में एक संस्था में कोषाध्यक्ष हैं।आपको कविता लिखने का शौक हैl कई पत्रिकाओं में आपकी कविताओं को स्थान दिया गया है। एक समाचार-पत्र द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया है। उपलब्धि यही है कि,मासिक पत्रिकाओं में निरंतर लेखन प्रकाशित होता रहता हैl आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को उजागर करना हैl
Post Views:
717