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नित्य नियम से मदिरा पान कराये,
आजकल तो सच्चा मित्र वही है |
दुःख दर्द में जो दारु पिलाये,
सच्चा मित्र तो आज वही है |
पिला कर जो नाली से निकाले ,
उस जैसा कोई मित्र नहीं है |
मधुशाला का नित्य निमन्त्रण,
जो देता है अच्छा मित्र वही है |
व्यथित ह्रदय हो पीड़ा तब ,
थोड़ी सी पिला दे मित्र वही है |
मधु पात्रो में मदिरा भर कर ,
स्ट्रांग पैग बना दे मित्र वही है |
मदिरा के साथ काजू खिला दे ,
बिन कहे पैग बना दे मित्र वही है |
सुरा से बेसुध हो जाऊ तब ,
मेरे घर पहुँचा दे मित्र वही है |
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम
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