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समय जब जब करवट बदलता ।
कभी अच्छे दिन कभी बुरे लाता।।
श्री राम को भी वनवास दिखाता।
फिर आम जन को सुख पहुंचाता।।
कितने असुरों का उद्धार कराता।
ऋषि मुनियों के दुखों को भगाता।।
शबरी मैया के घर श्रीराम बुलाता।
समय ही है जो सबको मिलवाता।।
पांडवों को धर्म युद्ध मे जीतवाता।
शकुनि को नित नई चाल सीखाता।।
धृतराष्ट्र को पुत्र मोह में उलझाता।
कौरव कुल का समय नाश कराता।।
समय का खेल न समझ मे आता।
समय से आगे कोई न दौड़ पाता।।
समय लाभ हानि के चक्र चलाता।
सुख – दुख में समय ही भटकाता।।
कर्ण से कवच कुंडल दान कराता।
एकलव्य से अपना अंगुष्ठ कटवाता।।
लंकेश का अहंकार चूर – चूर करता।
समय है जो सबको सबक सिखाता।।
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।
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