चालीस जवानों की शहादत
मांगे पुनः बदला और बगावत।
बहुत हो गई कडी निंदा
अब तो फैसले बारी है
कायरता जघन्यता की पराकाष्ठा
दहशतगर्दो ने दिखायी है
खौल रहा है लहू अब उनकी शामत कब ?
लहू पुकारे रक्षक की
दहशत न बर्दाश्त करो
एक एक पल कर्ज है
जब तक न इंसाफ करो ।
रोज रोज की दहशत
कैसे कोई वर्दाश्त करे।
होते पंख तो पल भर में
मिटा आता तेरा वजूद।
चीख पुकार हो हल्ला
नशा और आतंक का
हर गली हर मुहल्ला
करता वो बखान है
हर बार वेवाक मुकर कर
दोहराता वो जघन्यता से
सुन लो पाक प्यारे
शहीदो की हर बूँद लहू का
व्यर्थ न जाने वाली तेरी शामत आनेलाली
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति