इस बात को हम मानले, कि बेटा बेटी एक समान।
बेटियां हैं हमारा मान तो, ये बेटे भी है हमारी शान।।
दोनों ही है ये बहुत जरूरी, ना कर इनमें भेदभाव।
बहुत खलेगा ये अगर रह गया एक का भी अभाव।।
समान शिक्षा दे दोनों को, दोनों समान ही पढ़ते जाए।
जीवन के हर पथ पर दोंनो, समान ही बढ़ते जाए।।
मत बतलाओ तुम बेटी को, कि ये तो धन पराया है।
बेटे को भी ना जताओ, कि कुल का दीपक आया है।।
समान संस्कारदो दोनों को, ये अम्बर में पर फैलाये।
ना भेदभाव हो इनमें, ऊंचा माँ-बाप का शीश उठायें।।
फर्क मिटा दोनों के बीच, जिंदगी में खुशहाली लाये।
फूल है हमारे आंगन के, आओ आंगन को महकाये।।
#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।