नया इलेक्शन फिर आया है,
वोट हमारे नाम करो..
भीख वोट की हमको दे दो,
ऐसे पुण्य का काम करो..
जीत गए तो दिखला देंगें,
तुमको अपना असली रूप..
शीतल छाया को तरसोगे,
झुलसाएगी तुमको धूप
पाँच साल के बाद मिलेंगें..
तब तक तुम आराम करो,
वोट हमारे………।
वोट की ख़ातिर हम जनता को,
सौ टुकड़ों में बाँटेंगे..
कफन,अर्थियाँ बेच के अपने,
पेट का गड्ढा पाटेंगें..
देशभक्त हैं शुभचिंतक हैं,
हमको न बदनाम करो..
वोट हमारे…….।
भूख-प्यास का तोहफ़ा देंगें,
‘पंकज’ तुमको जीते जो..
पेट की ख़ातिर बेच के छोड़ेंगें,
हम नेता भारत को..
खुशहाली चाहो तो तुम भी..
गैरत को नीलाम करो..
वोट हमारे…….।
#पंकज सिद्धार्थ
परिचय : पंकज सिद्धार्थ नौगढ़ सिद्धार्थनगर (उत्तर प्रदेश )से ताल्लुक रखते हैं,यानि गौतम बुद्ध की भूमि से।आपने गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर हिन्दी से किया है और बीएड जारी है।आप कविता को जीवन की आलोचना शौक मानकर अच्छी रचना लिखते हैं।