उनके पास समय है बस,
फ़ेसबुक पर पिक्स डालने का।
उनके पास समय है,
अब इतना ही कि..
पिक्स पर आए लाइक्स,
और कमेंट्स की
गिनती भर ही कर सके।
बस इतना-सा ही समय,
बचा है कि..
तारीफों के पुल बाँधते
हर सच्चे-झूठे कमेन्ट का,
रिप्लाई भर ही कर सके।
हर पिक के साथ लगा सके,
कोई आकर्षित-सा स्टेटस
वो सोच पाना भी..
आसान नहीं कम्बखत।
उनके पास होते हैं पैसे,
अब सिर्फ इंटरनेट पैक
डलवाने के लिए..।
अभी ज़रा तंगी में है मोहतरमा,
दस रुपए का एसएमएस पैक..
डलवाने की गुजारिश का,
खंडन कर देती है हर बार।
दो मिनट बात करनी होती है,
कभी-कभी उन्हें
दे देती है उसके लिए भी मिस्ड कॉल।
तंगी में है वो अब,
बेलेन्स डलवाने के पैसे कहाँ..
मोहतरमा बिजी है बहुत,
मोहतरमा तंगी में है..।
उन्हें न समझ सकने का,
इल्जाम है सिर पर..
हम फुरसतियों
प्यार में अंधे
भावना के अमीरों के पास।
उनके पास समय है बस
फेसबुक पर पिक्स डालने का….।
#अंकुर नाविक
परिचय: मध्यप्रदेश में महू(जिला इंदौर) निवासी अंकुर नाविक का जन्म १९९३में हुआ है। आपकी प्रकाशित पुस्तकें-‘दीपिका-एक प्रेम कहानी'(उपन्यास),रुबरु-युवा दिलों की थाह लेते अफ़साने(कहानी संग्रह है तो, प्रमुख ऑनलाइन-ऑफलाइन पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।