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गरल सुधा बन जाता है जब मीरा सी हो भक्ति।
अभय हो जाता नर जब हो निष्काम कर्म शक्ति।।
अगणित मदन हो न्योछावर शिव चरणों मे तब।
मिलती देवों को उनके चरणों मे सच मे अनुरक्ति।।
स्मृति आ जाती जग में जब मिट जाती आसक्ति।
अन्तर्मन प्रफुल्लित होता जग उठती भावभक्ति।।
उत्तम से उत्तम ऋषि मुनि भी सहज न पाए मुक्ति।
बड़ा कठिन अध्यात्म पथ ये सरल नहीं है विरक्ति।।
कोई बिरला मोह निशा से जागे तभी मिले मुक्ति।
राह में शूल बिछे पुरोहित कदम बढ़ा मिलेगी शक्ति।।
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।
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