हल्दीघाटी समरांगण में,
सेना थी दोनो तैयार।
मुगलों का भारी लश्कर था,
इत राणा,रजपूत सवार।
भारी सेना थी अकबर की,
. सेनापती मुगलिया मान।
भीलों की सेना राणा की,
. अरु केसरिया वीर जवान।
आसफ खाँन बदाँयूनी भी,
. लड़ते समर मुगलिया शान।
शक्ति सिंह भी बागी होकर,
. थाम चुका था मुगल मचान।
राणा अपनी आन बान की,
. रखते आए ऊँची शान।
मुगलों की सेना से उसने,
. कीन्हा युद्ध बड़ा घमसान।
मुगल सैन्य विचलित जब होती,
. धीरज दे कछवाहा मान।
हाथी के हौदे पर बैठा,
बीच समर जैसे शैतान।
राणा कीका लड़े समर में,
. होकर चेतक पीठ सवार।
भारी भरकम कर ले भाला,
. एक हाथ थामें तलवार।
पूँजा संगत भील लड़ाके,
. बरछे तीर संग तलवार।
अजब शौर्य था भीलों का,
. कटने लगे मुगल सरदार।
भीलों के तीरों की वर्षा,
. जैसे मेघ मूसलाधार।
भगदड़ मचती मुगल सैन्य में
. भील लड़ाके छापामार।
सूरी हाकिम खान दागता,
. तोपें गोले बारम्बार।
तोप सामने जो भी आते,
. मुगलों की होती बरछार।
तोप धमाके भील लड़ाके,
. मुगल अश्व हाथी बदकार।
मानसिंह बेचैन हो गया,
. उत काँपे अकबर दरबार।
अफगानी वो वीर तोपची,
. राणा का था बाँया हाथ।
उसने अपना धर्म निभाया,
. मरते दम राणा के साथ।
जोश भरा जाता वीरों में,
. सुन सुन राणा की ललकार।
चेतक की टापों से होते,
. घोड़े मुगल हीन बदकार।
भारी मार मची समरांगण,
. जूझे योद्धा वीर तमाम।
मुगलों ने तब युक्ति निकाली,
. बचे मुगल योद्धा इस्लाम।
उभय पक्ष रजपूते मरते,
. देख चकित मुगलिया चाल।
रक्त उबल आया राणा का,
. आँखें हुई क्रोध से लाल।
किया इशारा तब चेतक को,
. चेतक ने भर लई उछाल।
धरी टाप मान गज मस्तक,
. राणा ने फेंका तब भाल।
गज हौदे में छुपा मान यों,
. खाली गया वीर का वार।
हस्तिदंत असि लगकर घायल,
. हुआ अश्व चेतक लाचार।
भाला दूर गिरा था जाकर,
. मर गए मुगल वहीं बाईस।
थर थर काँपे मान कछावा,
. अब की प्राण बचे अवनीश।
इकला राणा मुगल घनेरे,
. खूब लड़ा रण में रणधीर।
जित तलवार चले राणा की,
. गिरती वहीं मुगल शमशीर।
टिड्डी दल सी मुगल सैन्य थी,
. कटे बीस आते पच्चीस।
काट काट कर राणा थकते,
. सहस्त्र मुगल हुए बिन शीश।
राणा घायल थकित समर में,
. चेतक होता लहूलुहान।
झाला मान वंश बलिदानी,
. आया बीच समर में मान।
राणै का सिरछत्र सँभाला,
. बचै वीर मेवाड़ प्रताप।
अमर हुआ राणा के बदले,
. निज कुरबानी देकर आप।
मुगलों की भारी सेना अरु,
. मक्कारी की चलते चाल।
हल्दीघाटी रक्तिम हो गई,
. रजपूती सेना थी काल।
दशा देख राणा चेतक की,
. करें पलायन ईश सहाय।
नाला आया फाँदाँ चेतक,
. शान बचाये प्राण गवाँय।
आन बान को खूब निभाया,
. चेतक स्वामिभक्त बलवान।
राणै नैन मेघ से झरते,
. चेतक सखा वीर वरदान।
राणा चेतक गर्दन लिपटे,
. वा रे एकलिंग दीवान।
जब तक धरती सूरज चंदा,
. राणा-चेतक अमर निशान।
पीछा करते आए सैनिक,
. शक्ति सिंह की पड़ी निगाह।
मार गिराये उनको शक्ता,
. राणा हुए शक्ति आगाह।
शक्तिसिंह भ्राता से मिलते,
. राणा मिले भुजा फैलाय।
चारों आँखें झर झर बहती,
. आँसू जल चेतक नहलाय।
शक्ति बंधु प्रताप पाए थे,
. राणा पाय शक्ति बलवान।
दो दो बेटे मातृभूमि के,
. मेवाड़ी धरती धनवान।
राम-भरत सा मिलन अनोखा,
. *जनम भोम* के हैं अरमान।
शक्ती ने घोड़ा निज देकर,
रखी धरा की आन गुमान।
युद्ध विजेता किसको कह दूँ,
. धर्म विजेता शक्ति प्रताप।
ऐसे वीर हुए जिस भू पर,
. हरते मातृभूमि संताप।
वन वन भटका था वो राणा,
. मेवाड़ी रजपूती भान।
हरे घास की रोटी खाकर,
. रखता मातृभूमि की आन।
धन्य धन्य मेवाड़ी धरती,
. राणा एकलिंग दीवान।
गढ़ चित्तौड़ उदयपुर वंदन,
. हल्दीघाटी धरा महान।
नमन करूँ उन सब वीरों को,
. राजस्थानी छोड़ी छाप।
नमन करूँ मँगरा चट्टानें,
. चेतक की पड़ती थी टाप।
वीर छंद वीरों को अर्पित,
. और समर्पित शारद माय।
भारत माता वंदन करता,
. ऐसे वीर सदा निपजाय।
मन के भाव शब्द बन जाते,
. लिखता शर्मा बाबू लाल।
चंदन माटी हल्दीघाटी,
. उन्नत सिर मेवाड़ी भाल।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः