पर प्यार शुरू हो रहा है इसका ये मतलब नहीं यार !
तुम दिल में कभी आते और कभी भी जाते हो जनाब ,
पर दिल तो मेरा दुखता है लो जान लो जनाब !!
बिन बोले ही दिल में आते ,जाते हो जनाब !
क्या चाहते हो तुम हजूर, कुछ तो कहो हम से !
सुनने को बेकरार है, दो शब्द आपके के !!
पैगाम चाहत का भेजना, भी काफी नहीं होता !
दिल तो मेरा है, उसे धड़कना भी चाहिए !
दिल धड़ाके बिना पैगाम, आपका पढ़ नहीं सकता !!
सिलसिला प्यार का कुछ तो बढ़ाओ जनाब !
दिल में लगेगी आग, तो ही मिलोगे जानब !
तभी ही तो परवान चढ़ेगा, हम दोनों का प्यार !!
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।