वो इश्क नहीं हो सकता है

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sachin
पिता  की पगड़ी को जो गिरा दे,वो इश्क नहीं हो सकता है,
अपनी शान में पिता का मान गिरा दे,
वो इश्क नहीं हो सकता है,
मां की कोख में जिस बेटी को, पिता ने बचाया है,,
उसी बेटी ने देखो पिता का कैसे मान गिराया है,,
जिस बेटी को खूब पढ़ाया, ऊंची तालीम दिलाई है,,
उसी बेटी में देखो जग में, पिता की जग हंसाई कराई है,
 जो पिता की आंखों में आंसू ला दे, वो इश्क़ नहीं हो सकता है
करना है अगर तो प्रेम करो, प्रेम त्याग दे जाता है,,
बेटी का एक गलत कदम, पिता को भीतर तक खा जाता है,,
जो पिता के मस्तक पर दाग लगा दे, वो इश्क नहीं हो सकता है,,
प्यार के नाम पर जो बच्चा,  केवल अपनी ही हाकेगा,,
वो पिता सब कुछ मांगेगा, लेकिन रब से बेटी ना मांगेगा,,
जिस बेटी को नजर से बचाने को, मां काला टीका लगाती है,,
 वही बेटी अपने सपनों की खातिर, पिता का मुंह काला कर जाती है,,
जो बेटी पिता को इतना जलील कराए, वो इश्क नहीं हो सकता है,,
खून के आंसू जो पिता की आंखों में लाए,
वो कुछ भी हो, कुछ भी हो कुछ भी हो,
लेकिन इश्क नहीं हो सकता है, इश्क नहीं हो सकता है,,
#सचिन राणा हीरो
हरिद्वार(उत्तराखंड)

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