माँ का जब भी लिया नाम
मिल गए तभी चारों धाम
माँ ही प्रभु माँ ही भगवन
माँ तुझे करते नमन वंदन।
माँ कभी लगे धूप छाँव सी पहेली
माँ कभी पाठशाला अलबेली सी
माँ कभी डांटे तो कभी पुकारती
माँ जीवन मूल्य का पाठ पढ़ाती।
माँ की लोरी सरिता सी कल कल
माँ की ममता गंगा सी पावन निर्मल
माँ ने दी सौगात संस्कृति और संस्कार
माँ की थपकी भरे जीवन में नव संचार।
माँ तेरी बातें गीता का सार
माँ तू सुनाए वेद और पुराण
माँ तू गायत्री मंत्र का करे जाप
माँ तू पाठ करें नित रामायण ।
माँ का मातृत्व अनोखा आनंदमई
माँ कौशल्या सी ममतामई अनुरागी
माँ स्नेह की अंजुरी सींचती सी लगे
माँ का आंचल प्यार से दुलार करे।
#डॉ अंजुल कंसल “कनुप्रिया”