2.I
चेतावनी देने में कामयाब
रोबोट 2
निर्देशक -शंकर
कलाकार -रजनीकांत, अक्षय कुमार, एमी जैक्सन, आदिल हुसैन, सुधांशू ,
दोस्तो
कहानी पर चर्चा नही करेंगे,
लेकिन vfx, CIG, एनिमेशन ग्राफिक्स पर चर्चा ज़रूर होगी
फ़िल्म का बजट 550 करोड़ है जो कि सबसे महंगी भारतीय फिल्म होने का गौरव प्राप्त करती है,
गरागिक्स और vfx कमाल के है जो कि हॉलीवुड X मेन, किंग्समेंन की याद ताजा करते है
फ़िल्म की दक्षिण में 149 करोड़ की एडवांस बुकिंग फ़िल्म की सफलता की ग्यारंटी दे रहे है, 370 करोड़ में सेटेलाइट अधिकार बेच कर लागत के करीब पहुच गई फ़िल्म
चेतावनी या सन्देश जो फ़िल्म देती है बढ़ती तकनीकी सफलता यानी मोबाईल के नेटवर्क टॉवर से जो रेडिएशन यानी तरंगे निकलती है वह न केवल इंसानों के लिए हानिकारक है परिंदों के लिए भी नुकसानदेह है, बढ़ती मोबाइल सेवाओ से तरंगों की मात्रा भी बढ़ रही है जो कि इंसानी जीवन के साथ परिंदों के प्रजातियों को खात्मे की ओर ले जा रही है
बस यही विषय को बड़े बड़े ग्राफिक्स विजुअल इफेक्ट से फिल्म में दिखाया गया है
ध्यान देने योग्य बात यह कि एक सभाकक्ष में अटल जी और नेहरू जी की तस्वीरे टगी दिखाई फ़िल्म में तो महसूस हुआ कि देश के जो राजनीतिक द्वंद आजकल उफान पर है उससे फिल्मे अछूती है जो कि अच्छा है
एक दृश्य जिसमे पक्षीराज(अक्षय कुमार) मोबाइल से बड़ा गरूड़ बनते है वह ग्राफिक्स कमाल कर गया है
कहानी में महज इतना बहूत होगा कि
जिस चिट्टी रोबोट को इंसानियत के लिए खतरा
मान कर 2010 वाली रोबोट फ़िल्म के अंत में निष्क्रीय कर दिया गया था, डॉक्टर वशीकरण को उसे फिर जगा कर पक्षीराज से लड़ने के लिए बुलाया जाता है
अंत मे क्या होता है जानने के लिए फ़िल्म देखना पड़ेगी|
फ़िल्म के अंत मे एक क्लू छोड़ा गया है 3.O का यानी तीसरे भाग की तैयारी शुरू होने को है
पटकथा में कुछ खास नही है
और अब भारतीय दर्शक ब्लेक पेंथर, स्पाइडरमैन, आंटमेन, X मेन देख चुके है तो vfx कमजोर लगेंगे, लेकिन भारतीय सिनेमा की तरक्की में यह फ़िल्म मिल का पत्थर है,
कमजोरी
सुपर हीरो ओर आत्मा की जंग यह बात खलती है
क्योकि यह फार्मूला मेट्रिक्स रिलोडेड कीमैन में भी इस्तेमाल हुवा था
और शंकर को यह ख्याल रखना चाहिए था कि रोबोट और आत्मा की जंग में जीत शांति की ही होगी,
पक्षियों की जान बचाने के लिए इंसानों की जान ले ली जाए यह भी तो अन्याय ही होगा
अंतिम दृश्य में एक स्टेडियम में पक्षीराज और रोबोट की भिड़ंत में पूरा स्टेडियम नेस्तनाबूत हो जाता है लेकिन पब्लिक में किसी को खरोच तक नही आती जो कि हास्यास्पद लगता है,
संगीत में ज्यादा कुछ लिखने को नही है मध्यांतर पर एक गाना कैलाश खैर का ठीक लगता है, दूसरा गाना अंत मे भूल ही जाए
फ़िल्म का पहला हाफ पकड़ बनाए रखता है दूसरा हाफ बिगडाव पैदा करता है लम्बा और पकड़ ठीली करता है
अदाकारों में रजनीकांत जो कर दे वही अभिनय मान लिया जाता है, अक्षय इसके पहले अब्बास मस्तान की अजनबी में नकारात्मक भूमिका निभा चुके है, बढ़िया अभिनय किया है, एमी जैक्सन जो कि एक रोबोट बनी है तो उससे अभिनय की उम्मीद ही बेकार है,
फ़िल्म को कूल मिलाकर एक बड़े प्रयोग के लिए 3.5 स्टार्स
#इदरीस खत्री
परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।