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बचपन की यादो को भूलाया जा नहीं सकता /
दादा दादी नाना नानी का प्यार,
कभी भी दिल दिमाग से मिटाया जा नहीं सकता /
अपनो का प्यार कैसा भी रहा हो ,
पर उसे जीवन के पन्नो से भुलाया जा नहीं सकता /
बड़ी मुश्किल में हूँ, कैसे इज़हार करूँ../
तू तो खुशबू है, तुझे कैसे गिरफ्तार करूँ…/
आँखों से छलकती मोहब्बत को, यूँ अल्फ़ाज़ मिलते है /
जो गिरे आँखों से दो बुँदे वो भी, तो प्यार बयां करते है..!!
दिल और दिमाग पर, तेरी ही छाया दिखती है /
कुछ भी करो , बस तू ही तू दिखती है /
सुबह से रात तक मेरा जीना ,बेहाल कर देती है /
क्या लोगो इसी को आप प्यार कहते है ?
मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफ़िर हैं हम भी../
किसी मोड़ पर,फिर मुलाक़ात होगी./
क्या अधूरा प्यार, एक बार फिर रंग लाएगा /
जैसा हम सोचते थे, वैसा ही घर संसार बन जायेगा /
प्यार “उन फूलों के समान हैं /
जो कुचले जाने के बाद भी /
खुशबू “देना बंद नहीं करते /
प्यार के बिना इंसान अधूरा है //
परिवार का स्नेह प्यार,अमृत से कम नहीं /
जब भी हम तनहा होते है,
बस अपनो की यादो में खो जाते है //
क्योकि अपने अपने होते है /
तभी तो हमारे सपने सच होते है //
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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