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हम उस धरती पर जन्मे हैं, हुए जहाँ तेजाजी हैं,
गौ माता को बचाने वाले,ददरेवा के गोगाजी हैं।
बैलों की पूजा करवा दे,लोक अजर हरबुजी हैं,
शरणागतों की रक्षा करते,कोलू में पाबूजी हैं।
जब-जब दुग्ध दिया है तुमको,गौ माता कहलाई है,
क्या है अपराध मात का जो,काटे आज कसाई है।
गऊ पर करते अत्याचार,तुमको तो शर्म न आती,
अगर दया न करती तुझ पर,तो नोच-नोच खा जाती।
खुद को वीर समझने वाले,तू क्यूं भूल जाता है,
सुन ले-सौ हत्या करने पर,सिंह भी मारा जाता है।
कुछ मातृहंता पापी जन,माँस गऊ का खाते हैं,
अम्बरा चीर जिसके बछड़े,हमें अन्न उपजाते हैं।
दिल्ली के नेताओं में गर,भेड़ कानी नहीं होती,
राष्ट्र उपाधि मिली होती,तो माँ कभी नहीं रोती॥
#दिनेश कुमार प्रजापत
परिचय : दिनेश कुमार प्रजापत, दौसा जिले(राजस्थान)के सिकन्दरा में रहते हैं।१९९५ में आपका जन्म हुआ है और बीएससी की शिक्षा प्राप्त की है।अध्यापक का कार्य करते हुए समाज में मंच संचालन भी करते हैं।कविताएं रचना,हास्य लिखना और समाजसेवा करने में आपकी विशेष रुचि है। आप कई सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं।
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