बचपन के वो दिन

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kirti vardhan
मुझे याद है..
बचपन के वो दिन,
कागज की कश्ती बनाकर
पानी में तैराना,
बरसात के दिनों में
उमड़ते-घुमड़ते बादलों के बीच
कल्पना के घोड़े दौड़ाना,
मनचाहे चरित्रों को तलाशना,
हाँ मुझे याद है।
मुझे याद है..
फर्श पर पानी का फैलाना,
छप-छप करना,
माँ का गुस्सा,दादी का प्यार
बहन का दुलार,
सब याद है मुझे।
मैं आज भी आकाश में ताका करता हूँ,
बादलों के बीच
अपनी कल्पना तलाशा करता हूँ।
मुझे याद है
बरसात के बाद
इन्द्रधनुष का दिखना,
उसके रंगों में
अपने रंग को रंगना,
कहीं पीछे से
सूरज की किरणों का चमकना,
फिर सुनहरे बादलों में
अपने सतरंगी सपने बुनना।
हाँ मुझे याद है..
उन्हीं बादलों के बीच
पशु-पक्षियों की आकृति तलाशना,
पर्वत,नदी,पेड़ों के चित्र सजाना।
मैं नहीं भूला अपना बचपन,
फिर भी विवश हूँ
बचपन में न लौट पाने के कारण।
चाहता हूँ,
मैं फिर से बनाऊं
रेत के घरोंदें,
मिटटी में खेलूं,
दौडूँ-भागूं ,लुका-छिपी खेलूं।
हाँ ! मैं बचपन मे लौटना चाहता हूँ॥

                                                                         #अ.कीर्तिवर्धन

परिचय : अ.कीर्तिवर्धन का जन्म १९५७ में हुआ है। शामली (मुज़फ्फरनगर)से आपने प्राथमिक पढ़ाई करके बीएससी मुरादाबाद से किया। इसके अलावा मर्चेन्ट बैंकिंग, एक्सपोर्ट मैनेजमेंट और मानव संसाधन विकास में भी शिक्षा हासिल की है। १९८० से नैनीताल बैंक लि. की मुज़फ्फरनगर शाखा में सेवारत हैं। प्रकाशित पुस्तकों में-मेरी उड़ान,सच्चाई का परिचय पत्र,मुझे इंसान बना दो तथा सुबह सवेरे आदि हैं। राष्ट्र भारत(निबंधों का संग्रह)भी आपकी कृति है तो नरेंद्र से नरेंद्र की ओर प्रकाशनाधीन है। व्यक्तित्व व कृतित्व पर ‘सुरसरि’ का विशेषांक ‘निष्णात आस्था का प्रतिस्वर’ कीर्तिवर्धन भी आपकी उपलब्धि है।’सुबह सवेरे’ का मैथिलि में अनुवाद व प्रकाशन भी किया है। आपकी कुछ रचनाओं का उर्दू ,कन्नड़ ओर अँग्रेजी में भी अनुवाद अंग्रेजी में अनुवाद हुआ है। साथ ही अनेक रचनाओं का तमिल,अंगिका व अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हो चुका है। आपको ८० से अधिक सम्मान, उपाधियाँ और प्रशस्ति-पत्र मिले हैं। विद्यावाचस्पति,विद्यासागर की उपाधि भी इसमें है। आप सेवा के तहत ट्रेड यूनियन लीडर सहित अनेक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।

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